अगरबत्ती उद्योग निर्माण क्षेत्र में भारत को पूर्णरूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्र सरकार ने खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन की शुरुआत की है। केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) द्वारा यह कार्यक्रम देश में साल 2020 से ही चलाया जा रहा है। भारत सरकार इस योजना से प्रवासी मजदूरों को बड़े स्तर पर रोजगार व स्वरोजगार करने का मौका दे रही है। मिशन की सभी मुख्य जानकारियां इस लेख में बताई गयी हैं –
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खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन 2022 –
मोदी सरकार ने अगरबत्ती के विदेशी आयात को कम करने और देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासी कामगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन की शुरुआत की है। इससे प्रवासी कामगारों को रोजगार मुहैय्या करवाने व लॉक डाउनलोड के कारण लघु उद्योगों में हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा प्रस्तावित इस मिशन को ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तृत रोजगार का अवसर माना जा रहा है।
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योजना का नाम | Khadi Agarbatti Aatmanirbhar Mission |
कब शुरू हुई | 6 सितम्बर 2020 |
किसने शुरू किया | मोदी सरकार (नितिन गडकरी) |
मंत्रालय | सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार |
योजना का उद्देश्य | देश को अगरबत्ती उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैय्या करवाना |
बजट | 50 करोड़ रुपये |
अगरबत्ती उद्योग में हैं अपार संभावनाएं –
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में प्रतिदिन 760 मीट्रिक टन अगरबत्ती का उत्पादन होता है। जबकि खपत इसकी 2 गुनी लगभग 1490 मीट्रिक टन की है। अगरबत्ती के उत्पादन में इस भारी कमी के कारण चीन और वियतनाम जैसे देशों से इसका आयात होता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगरबत्ती निर्माण उद्यम में कितनी संभावनाएं हैं।
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खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन का उद्देश्य
- भारत में अगरबत्ती के उत्पादन में तेजी से वृद्धि करना।
- देश को अगरबत्ती निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना।
- देश के विभिन्न ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देना।
- सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बढ़ावा देकर हजारों रोजगार का सृजन करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलु रोजगार से महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाना। ,
- प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान में तेजी लाना।
- स्थानीय उद्योगों और कारीगरों को बढ़ावा देना।
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खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन के मुख्य तथ्य –
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, मिशन को सफल बनाने के लिए 55 करोंड़ रुपये का मसौदा तैयार किया है।
- नए उद्यमियों को अगरबत्ती निर्माण के लिए आवश्यक मशीने, खादी और ग्रामोद्योग आयोग उपलब्ध कराएगा।
- मशीनों के खरीद पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग 25 प्रतिशत की सब्सीडी देगा। बाकी बचे 75% दाम को उद्यमी आसान किस्तों में चुका सकते हैं।
- 1500 अगरबत्ती निर्माण से जुड़े उद्यमियों को 3 करोड़ 45 लाख रूपए की तत्काल सहायता की जाएगी।
- अगरबत्ती की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कनौज में दो विकास केंद्र केंद्र खोले जायेंगे।
- 50 करोड़ की लागत से 10 नए निर्माण क्लस्टर SFURTI कार्यक्रम के अंतर्गत बनाये जायेंगे।
- खादी और ग्रामोद्योग आयोग, प्राइवेट व्यापार क्षेत्र से मिल कर नए कारीगरों को प्रशिक्षण देने का खर्च वहन करेगा
- व्यापार उद्यमी कारीगरों को अगरबत्ती निर्माण का कच्चा माल देंगे।
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खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन की विशेषताएं –
- खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन के अंतर्गत सभी नयी मशीने देश के ही निर्माताओं से खरीदी जाएँगी।
- खादी अगरबत्ती निर्माण मिशन सरकार द्वारा पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के नियम पर आधारित है।
- ब्यापारियों के लिए कच्चे माल और मशीनों की व्यवस्था खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग करेगा।
- मशीनों की लागत का 25 प्रतिशत अनुदान केविआइसी (KVIC) करेगी। बाकि 75 प्रतिशत व्यापारी को भरना पड़ेगा।
- MSME के आकड़ों के अनुसार अगरबत्ती उद्योग में प्रतिकिलो उत्पादन पर 15 रुपये की बचत होती है। जबकि 1 दिन में एक मशीन द्वारा 80 किलो उत्पादन का औसत होता है। इस तरह एक दिन में 1200 रुपये का लाभ हो सकता है।
अगरबत्ती निर्माण के लाभ –
- स्थानीय रोजगारों को बढ़ावा मिलेगा।
- ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को घरेलू रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।
- लॉक डाउन के कारण बेरोजगार प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिलेगा।
- सरकार के अनुसार प्रतिदिन की मजदूरी 250 रुपये या उससे अधिक मिल सकती है।
- प्रति मशीन पर 4 मजदूरों को रोजगार मिलेगा। इस तरह हजारों रोजगार पैदा हो सकते हैं।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिलेगी।
- स्वरोजगार और स्थानीय व्यापर को बढ़ावा मिलेगा।
- अगरबत्ती उत्पादन बढ़ने से विदेशी आयात कम होगा।
- अगरबत्ती मशीन निर्माण कंपनियों से मशीने खरीदने से उन्हें लाभ होगा।
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अगरबत्ती बनाने का मटेरियल कहां मिलता है –
अगरबत्ती बनाने का मटेरियल अनेक स्थानों जैसे, बंगलुरु, अहमदाबाद, मैसूर, कन्नौज आदि शहरों में मिलता है। आपके शहर के स्थानीय व्यापारी विभिन्न श्रोतों के द्वारा अगरबत्ती निर्माण का कच्चा माल मंगवाते हैं। इसे बनाने में जो प्रमुख कच्चे माल काम में आते हैं वे हैं – लकडी, सफेद चंदन, लकड़ी का कोयला (चारकोल), राल तथा गूगल आदि।
अगरबत्ती बनाने की मशीन की कीमत कितनी है?
भारत में अगरबत्ती बनाने की मशीन की कीमत लगभग 35000 रुपये से 1.75 लाख रुपये तक हो सकती है। मशीन की उत्पादन क्षमता की बात करें तो ये 1 मिनट में 150 से 200 अगरबत्ती तक बना देती है।
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